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नाम बदलीकरण को गलत ना समझें मुसलमान-इमरान नियाजी

यूपी के मुख्यमंत्री को इन दिनों मुस्लिम नामों वाले शहरों ओर स्टेशनों के नाम बदलने की धुन चढ़ी है, ढूंढ ढूंढकर मुगल सलतनत के बसाये शहरों के नाम बदले जा रहे हैं जैसे फैजाबाद, अकबरपुर, इलाहाबाद, मुगलसराय वगैराह। इसपर मुसलमानों की एक बड़ी तादाद का मूंड खराब है, मुसलमान बुरा मान रहे है कि मुस्लिम नामों ओर मुगलिया सलतनत के नामों निशान को मिटाया जा रहा है। शायद ही किसी ने इस तरफ गौर किया हो। हमने इस मुददे पर काफी बारीकी से गौर किया और इस नतीजे पर पहुंचे कि मुख्यमंत्री शहरों और स्टेशनों के मुस्लिम नाम क्यों मिटा रहे हैं। दरअसल मुख्यमंत्री को इस्लामी नामों की बेअदबी पसन्द नहीं है कयोंकि जाहिर सी बात है कि अकबरपुर में अकबर शब्द आता है अकबर नाम खुदा का है ओर किसी शहर, जगह, संस्था का नाम लाखों ऐसे कागजों पर लिखा जाता है जिनका कुछ वक्त के बाद रद्दी बनना तय है और रद्दी सिर्फ कूड़े कचरे नालियों में ही फेंक दिये जाते हैं जिससे उन पाक नामों की बेअदबी होती है। और यह बेअदबी मुख्यमंत्री को बिल्कुल भी पसन्द नहीं है इसलिए मुख्यमंत्री ने उन शहरों, स्टेशनों संस्थाओं के नाम बदलने का बीड़ा उठा लिया जिनके नाम इस्लामी या मुस्लिम है। दरअसल मुख्यमंत्री एक कटटर धार्मिक व्यक्ति है वे धार्मिक नामों का अपमान सहन नहीं कर सके ओर उन्होंने ऐसे सभी नामों को बदलने की कसम उठा ली। इसलिए ऐसे तमाम मुस्लिम संगठनों, मुस्लिमों से अपील करना है कि इस्लामी नामों वाले शहरों, स्टेशनों संस्थाओं के नाम बदलने का विरोध ना करें। क्योंकि यह काम मुख्यमंत्री किसी अदावत में नहीं कर रहे बल्कि इस्लामी नामों के मान सम्मान का ध्यान रखकर बेअदबी (अपमान) से बचाने के लिए कर रहे है।
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